✍डॉ. एस.के. लोहानी
भीलवाड़ा। चीन से दिसंबर'19 में चले व मानवता के लिए विनाशकारी बन चुके कोरोना वायरस(कोविड-19) ने देखते ही देखते अमेरिका,इटली, स्पेन,ब्रिटेन,फ्रांस,बेल्जियम, जापान जैसे कई अतिविकसित देशों में तबाही मचाकर उन्हें जल्द ही मरघट में बदल दिया है। साथ ही इसने कंगले देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश,अफगानिस्तान,अफ्रीका में भी भूखमरी व अराजकता की स्थिति उत्पन्न कर दी। इसके पीछे वहाँ की सरकारों की निष्क्रियता, अपने ही नागरिकों के प्रति उपेक्षा, एयरपोर्टस पर विदेशियों की जाँच, लॉकडाऊन व चिकित्सा सेवाओं में देरी जैसे मुख्य कारण रहे।
दुनियाभर में इतने देशों की रोंगटे खड़े करने वाली भयावह स्थिति को देखकर हृदय में भारतभूमि पर जन्म लेने,अपने भारतीय होने व हमारे पीएम के रुप में नरेंंद्र मोदी के होने पर अत्यंत गर्व,सन्तुष्टि एवं कृतज्ञता,धन्यता का गहन भाव उत्पन्न होता है कि हमारी सुरक्षा की चिंता में समय रहते मोदीजी ने बड़े साहसिक निर्णय लेकर पहले जनता कर्फ्यू,फिर 21 दिन का लॉकडाऊन लागू कर दिया। एयरपोर्टस पर विदेश से आनेवाले यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरु करने,पूरे देश में सबके लिए राशन,सब्जी- फल,दूध,रसोई गैस,दवाएं आदि तमाम आवश्यक वस्तुओं की घर बैठे कुशल आपूर्ति जारी रखी। साथ ही चिकित्सा,बिजली,जल, पैट्रोल-डीजल,सुरक्षा,सफाई कार्य भी निर्बाध किए जा रहे हैं। इसमें भी यदि राशन,सब्जी,दूध,बिजली की उपलब्धता-आपूर्ति न होती तो लोग निश्चय ही विक्षिप्त हो जाते।
अभी देश कोविड-19 के तीसरे चरण की कगार पर पहुँच गया है जिस हेतु विदेशों से आये असंख्य आप्रवासीभारतीय,विद्यार्थी,यात्री,तबलीगी जमात व इसका मुखिया मौलाना साद और छोटे शहरों व गांवों के वे तमाम उछृंखल लोग उत्तरदायी हैं जो घर में रह 100% लॉकडाऊन की पालना नहीं करके स्वयं,परिवार,आसपड़ोस व अंततः देशभर में कोरोना वायरस फैलाकर तीसरे चरण में ले ही आये हैं। यदि शीघ्र स्थिति को संभाला नहीं गया तो हम चौथे चरण में पहुंच जायेंगे जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण,भयंकर एवं विस्फोटक स्थिति हो जायेगी। इन स्थितियों को देखते हुए हमें कम से कम 2 सप्ताह के लिए लॉकडाऊन बढाना ही पड़ेगा जिससे हम पूरे देश के वार्षिक बजट 20 लाख करोड़ रु की हानि तो उठायेंगे ही बल्कि देश को 30वर्ष पीछे धकेल देंगे।
कोरोनो वायरस संक्रमण से सारी दुनिया के परिणामों व उथल-पुथल एवं कई देशों में वहाँ के वहशियाना खानपान,विकृत रहनसहन,कानूनी वैध वेश्यावृत्ति व समलैंगिकता को देखकर दुनियाभर में यह तो पक्का हो चला है कि स्थितियाँ के सामान्य होते ही वैश्विक स्तर पर व्यापार,चिकित्सा,शिक्षा,अन्वेषण, भ्रमण आदि हर प्रकार के पर्यटन पर अंकुश अवश्य लग जाएगा। सारी दुनिया की ऐसी दुर्गति से हर व्यक्ति जो थोड़ा-सा भी संवेदनशील हो और थोड़ी-सी भी बुद्धि रखता हो,वो न तो स्वयं कोई विदेश यात्रा का विचार मन में लाएगा और न ही अपने बच्चों, परिवार के सदस्यों को भेजेगा या किसी को ऐसा परामर्श देगा। यदि अब भी कोई ऐसा करेगा तो वो सबसे बड़ा मूढ,गधा,दुष्ट,परिवार व देश का दुश्मन ही माना जाएगा।
हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हम भारतीय हैं और यहाँ इतनी अनगिनत सुरम्य प्राकृतिक स्थान व विविधताएं हैं कि इन सबको देखने-समझने के लिए कई जन्म लगेंगे। मानाकि यहां कुछ अव्यवस्थाएँ,भ्रष्टाचार,गंदगी, भारी-भरकम कराधान एवं लोगों में देश के प्रति उपेक्षित रवैया है,पर इस सबके लिए क्या हम सब समान रूप से जिम्मेवार नहीं हैं? हमने अब तक अपने मताधिकार का निष्पक्ष,सही व 100%उपयोग नहीं करके सरकारों व व्यवस्था को सुधारने के बजाय सिर्फ उनकी अलोचना करने के सिवाय क्या किया है? लेकिन अब परिस्तिथियाँ बदल रही हैं। वर्ष 2014 से मोदीजी के नेतृत्व में बहुत ही क्रांतिकारी, कल्याणकारी व रचनात्मक योजनाओं के साथ धीरे-धीरे ठीक हो रही हैं और देश विकास की राह पर निरंतर तेजी से आगे बढ रहा है। इसमें हमारा भी दायित्व बनता है कि हम पलायन कर अपनी प्रतिभा,धन,श्रम व ऊर्जा का उपयोग अन्य देशों के विकास के बजाय अपने देश की उन्नति में समर्पित करें।
आज अतिविकसित माने जाने वाले देशों सहित सारी दुनिया भारत के कृतित्व का लोहा मां रहा है तो क्या यह सम्भव नहीं है कि आने वाले समय में हम सब अपने श्रम-समर्पण से दुनिया की सबसे शक्तिशाली अर्थ व्यवस्था बनकर पुन: विश्वगुरु का पद प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिये हमें अपने सभी निहित स्वार्थ तजकर चीन जैसे देशों का पूर्ण बॉयकॉट करने का दृढ संकल्प करना ही होगा। क्या आप इसके लिए तैयार हैं....?
(उक्त विचार लेखक के अपने है...)