कोविड-19 महामारी के इस दौर में कोर्ट की कार्यपद्धति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशा-निर्देश

जिला अभियोजन डैस्क की रिपोर्ट



नीमच। अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी श्रीमान विपिन मण्डलोई ने बताया कि माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने दिनांक 06.04.2020 को सुओमोटो रिट (सिविल) क्रमांक 05/2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान कोर्ट के कामकाज को विडियो कान्‍फ्रेंसिंग के माध्‍यम से किए जाने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किये है।


ये दिशा-निर्देश भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 142 के
द्वारा सुप्रीम कोर्ट को प्रदत्‍त शक्तियों के तहत जारी किये गये है। जो निम्‍नानुसार  हैं –
01- वे सभी उपाय जो इस कोर्ट (सुप्रीम कोर्ट) और सभी हायकोर्ट के द्वारा न्‍यायालय परिसर के भीतर सभी स्‍टेक होल्‍डर्स की शारीरिक उपस्थिति की आवश्‍यकता को कम करने के लिए और कोर्ट के कामकाज को सोशल डिस्‍टेंसिंग
दिशा-निर्देशों के अनुरूप सुरक्षित करने के लिए और सर्वोत्‍तम लोक स्‍वास्‍थ्‍य कार्यप्रणाली के लिए किये गये है या किये जाऐंगे वे विधिपूर्ण माने जाऐंगे।
02- भारत का सर्वोच्‍च न्‍यायालय और सभी हायकोर्ट विडियो कान्‍फ्रेंसिंग के उपयोग द्वारा न्‍यायिक प्रणाली की सुदृढ. कार्यपद्धति को सुनिश्चित करने के लिए अपेक्षित उपायों को अपनाने हेतु अधिकृत है, और
03- प्रत्‍येक राज्‍य में न्‍यायिक प्रणाली की विशिष्‍टता और गतिशील विकसित लोक स्‍वास्‍थ्‍य अवस्‍था से संगत रहते हुए, प्रत्‍येक उच्‍च न्‍यायालय को विडियो कान्‍फ्रेंसिंग तकनीक के उपयुक्‍त अस्‍थायी पारगमन साधनों को निर्धारित करने के लिए अधिकृत किया जाता है।
04- संबंधित न्‍यायालय यह सुनिश्चित करने के लिए एक हेल्‍पलाइन मेनटेन करेगी कि फीड (भरण) की श्रवणता और गुणवत्‍ता के संबंध में कार्यवाही के दौरान या उसकी समाप्ति के तुरंत पश्‍चात शिकायत की जा सकेगी इसमें असफल
रहने पर बाद में कोई शिकायत ग्रहण नहीं की जाएगी।
05- प्रत्‍येक राज्‍य में जिला न्‍यायालय संबंधित उच्‍च न्‍यायालय द्वारा विडियो कान्‍फ्रेंस के लिए विहित प्रक्रिया को अपनाएगी।
06- न्‍यायालय सम्‍यक रूप से अधिसूचित करेगी और ऐसे पक्षकार जो विडियो कान्‍फ्रेंसिंग के साधन या पहुंच नहीं रखते है उन्‍हें वी.सी. की सुविधा उपलब्‍ध कराएगी। यदि आवश्‍यक हो, समुचित प्रकरणों में न्‍यायालय न्‍यायमित्र की नियुक्ति कर सकती है और ऐसे अधिवक्‍ता को वीसी की सुविधा उपलब्‍ध करा सकती है।
07- जब तक उच्‍च न्‍यायालयों द्वारा समुचित नियम नहीं बनाए जाते हैं तब तक विडियो कान्‍फ्रेंसिंग के माध्‍यम से विचारण के प्र‍क्रम या अपीलीय प्र‍क्रम पर तर्क सुनवाई की व्‍यवस्‍था की जाएगी। दोनों पक्षकारों की सहमति के बिना किसी भी केस में विडियो कान्‍फ्रेंसिंग के माध्‍यम से साक्ष्‍य अभिलिखित नहीं की जाएगी। यदि न्‍यायालय कक्ष में साक्ष्‍य अभिलिखित किया जाना आवश्‍यक हो तो पीठासीन अधिकारी कोर्ट में दो व्‍यक्तियों के मध्‍य समुचित दूरी बनाये रखना सुनिश्चित करेंगे।
08- पीठासीन अधिकारी को न्‍यायालय कक्ष में किसी व्‍यक्ति के प्रवेश और उस स्‍थान-बिंदू को जहां से अधिवक्‍तागण द्वारा तर्क सुनाए जाते हैं, निर्बंधित करने की शक्ति होगी। कोई भी पीठासीन अधिकारी किसी प्रकरण के पक्षकार का प्रवेश तब तक निर्बंधित नहीं करेगा जब तक कि ऐसा पक्षकार किसी संक्रमित बीमारी से ग्रसित न हो। हालांकि, जहां वादकर्ताओं की संख्‍या अधिक है, वहां पीठासीन अधिकारी को संख्‍या निर्बंधित करने की शक्ति होगी। जहां संख्‍या निर्बंधित करना संभव न हो वहां पीठासीन अधिकारी स्‍व-विवेकानुसार कार्यवाहियों को स्‍थगित करेगा।
उपरोक्‍त दिशा-निर्देश न्‍याय प्रदान करने की प्रतिबद्धता को अग्रसर करने के लिए जारी किये गये है। इस आदेश के पैरा 7 में उल्‍लेखित है कि ये दिशा-निर्देश आगामी आदेशों तक क्रियाशील रहेंगे। इस मेटर को 4 सप्‍ताह पश्‍चात सूचीबद्ध किये जाने का भी उल्‍लेख पैरा 8 में है।
माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के उक्‍त दिशा-निर्देश के पालन में दिनांक 07.04.2020 को ही म.प्र. उच्‍च न्‍यायालय जबलपुर के रजिस्‍ट्रार जनरल द्वारा मेमो जारी कर दिया गया है।